
पार्षद

जामवंत सिंह कुमरे
पद-जयस प्रदेश संयोजक
जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस )
Email:
Address:
पोस्ट हिड़ली तहसील आठनेर, जिला बैतूल मप्र
Date of Birth:
09/04/1981
A Bit About Me
जामवंत सिंह कुमरे: विस्तृत परिचय और सामाजिक कार्य
जामवंत सिंह कुमरे का जन्म 9 अप्रैल 1981 को मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आठनेर ब्लॉक स्थित ग्राम हिड़ली में हुआ। उनका परिवार शिक्षा और सामाजिक कार्यों के प्रति समर्पित रहा है, और जामवंत के पिता श्री फगन सिंह कुमरे भी एक शिक्षक थे। जामवंत ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से की और फिर उच्च शिक्षा के लिए भोपाल और इंदौर की ओर रुख किया।
शैक्षिक पृष्ठभूमि
जामवंत सिंह कुमरे ने अपनी बी.ई. (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग) की डिग्री 2005-2006 में आरजीपीवी, भोपाल से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर से 2010-2011 में एम. टेक की डिग्री हासिल की। शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करने के बाद, उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर शुरू किया।
पेशेवर जीवन
जामवंत सिंह कुमरे ने वर्ष 2008 में मुंबई में एक सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के रूप में कार्य शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने 2011-2012 के दौरान आरजीपीवी भोपाल के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। 2013 में, वे ग्वालियर स्थित एमआईटीएस कॉलेज में नियमित असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए। यहां रहते हुए, उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई और विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
सामाजिक कार्य और योगदान
जामवंत सिंह कुमरे का जीवन केवल शिक्षण तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज में बदलाव लाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा समर्पित की। उन्होंने ग्वालियर में कोरोना महामारी के दौरान अपनी टीम के साथ मास्क, सेनेटाइजर वितरण, रक्तदान शिविर आयोजित किए, और गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का कार्य किया। इसके अतिरिक्त, वे ट्रैफिक और पर्यावरण जागरूकता, गौ सेवा, और अन्य समाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे।
ग्वालियर की साइ लीला सेवा संस्थान ने उनकी इन सेवाओं के लिए उन्हें सम्मानित भी किया। उनकी यह सेवा समाज में उनके प्रति सम्मान और विश्वास को बढ़ाती है।
जनजातीय समाज के अधिकारों के प्रति समर्पण
जामवंत सिंह कुमरे को समाज विशेषकर आदिवासी समाज की समस्याओं और उनके अधिकारों के बारे में समझने का मौका मिला। उन्होंने महसूस किया कि समाज में सुधार और न्याय के लिए केवल शिक्षा के माध्यम से काम करना पर्याप्त नहीं है। इसलिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर समाज में सक्रिय रूप से कार्य करना शुरू किया।
उनका मुख्य उद्देश्य जनजातीय समाज के अधिकारों, परंपराओं, और उनके खिलाफ होने वाले अन्याय के खिलाफ संघर्ष करना है। जामवंत सिंह कुमरे ने आदिवासियों के हक में आवाज उठाई, खासकर भूमि अधिकारों और समाज में उनकी स्थिति को सुधारने के लिए। वे आदिवासी समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं।
परिवार और निजी जीवन
जामवंत सिंह कुमरे का विवाह 2019 में अंशु कुमरे से हुआ। उनके एक बेटा भी है। उनकी पत्नी अंशु कुमरे परिवारिक दायित्वों को कुशलतापूर्वक निभाती हैं। उनके परिवार में सभी सदस्य समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझते हुए अपने-अपने कार्यों में संलग्न रहते हैं।
निष्कर्ष
जामवंत सिंह कुमरे का जीवन एक प्रेरणा है जो दर्शाता है कि यदि किसी कार्य के प्रति समर्पण और निष्ठा हो तो व्यक्ति समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने अपने पेशेवर जीवन को छोड़कर समाज सेवा के क्षेत्र में अपना कदम रखा और समाज विशेषकर आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके कार्यों और उनके दृष्टिकोण ने उन्हें एक प्रभावशाली समाज सुधारक और आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता के रूप में स्थापित किया है।
Work Experience
जयस विचारधारा से प्रेरित 2013 - 2024 एक सक्रिय सदस्य के रूप में जायस के मुख्य उद्देश्य आज अनुसूची छठवीं अनुसूची पेसा कानून एवं आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारक के रूप में बाबई बटोरी जिसमें प्रदेश के सभी जिलों में अलग-अलग अपनी पहचान बना
2021 - 2024
2020 - 2021
2019 - 2020
2018 - 2019
जयस प्रदेश संयोजक
प्रोफेसर की नॉकरी छोड़कर नई जिम्मेदारी के साथ जमीनी स्तर पर लोगो के साथ जुड़ना जयस के कार्यकर्ताओं के साथ समाज के लोगों की समस्याओं के लिये हमेशा तत्पर रहना और उनके अधिकारों के लिए आंदोलन किया है।
जयस शैक्षणिक एवं तकनीकी प्रकोष्ठ प्रभारी
सन 2020 में आदिवासी संगठन एवं मित्र मण्डल के साथ कोविड 19 महामारी के दौरान दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रो मे जागरूक कर सेवाए प्रदान की गई एव ं कोविड 19 महामारी से बचाव हेतु सामग्री उपलब्ध कराई गई ।
जयस शैक्षणिक एवं तकनीकी प्रकोष्ठ प्रभारी
सन 2019 में कार्य कुशलता को देखते हुए प्रदेश कार्यकारिणी ने शैक्षणिक एवं तकनीकी प्रपोज प्रभारी नियुक्त किया लगातार सोशल मीडिया एवं कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाई संत 2019 -2020 को बैतूल जिले के समस्त ब्लॉक मुख्यालय में भ्रमण कर पांचवी अनुसूची छठवें अनुसूची पेसा कानून की जानकारी से आदिवासियों को जागरूक करने हेतु विशेष जिम्मेदारी दी गई पांचवा अनुसूची गंभीर मुद्दों पर चर्चा कर प्रशासन की ओर से जो भी सहयोग हो सकता है उसके लिए उन्हें यह कार्य सोफा जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक गांव गांव तक पहुंचाया
“संसद घेऱो मिशन-2018” की भूमिका तैयार की
1 अप्रैल, 2018 को बड़ी संख्या में आदिवासियों ने जयस (जय आदि वासी युवा शक्ति) के बैनर तले दिल्ली में संसद का घेराव किया। इस ऐतिहासिक संसद घेराव में संविधान की पांचवीं अनुसूची द्वारा अधिसूचित दस राज्यों मध्यप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और आंध्रप्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, सिक्किम, मेघालय, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और नेपाल के आदिवासी ‘मिशन 2018 आंदोलन’ के तहत दिल्ली पहुंचे थे। मिशन 2018 आंदलन के माध्यम से जयस संगठन को देश भर में सराहा गया और जयस ने सभी प्रमुख पार्टियों, संगठनों और लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
2016 - 2018
मिशन 2018
जामवन्त सिंह कुमरे ने 30 जुलाई 2017 को जयस के संविधान की पांचवीं अनुसूचि को सख्ती से लागू कराने हेतु सरकार पर दबाव बनाने के लिए नागालैंड, असम, सिक्किम, पश्चिम बंगाल और पांचवीं अनुसूची द्वारा अधि सूचित कुल दस राज्यों समेत 20 राज्यों के सैकड़ों आदि वासी प्रतिनिधि “पांचवीं अनुसूची पर परिचर्चा एवं ज्वलंत आदिवासी मुद्दों पर राष्ट्रीय बहस” के मुद्दे पर दिल्ली के लोधी कॉलोनी स्थित इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट में जुटे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय के समक्ष आदि वासि यों से संबंधि त तमाम मुद्दों पर तीखी बहस हुई और समस्याओं के समाधान के लिए श्री साय से अपील भी की गई।