रानी दुर्गावती जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर महारानी की वीरता शौर्य का बखान किया आदिवासी महिलाओं को भागीदारी का पाठ पढ़ाया - _जामवन्त सिंह कुमरे
- Jamvant Singh Kumre
- 5 अक्टू॰
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5 अक्टूबर 2025 को गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती के जयंती दिवस पर आदिवासी समाज की ओर से पुष्पांजलि देकर नमन किया।
बैतूल: जिला बैतूल के रानी दुर्गावती ऑडोटोरियम में समस्त आदिवासी समाज के द्वारा मूर्ति पर पुष्पमाला और पुष्पों के द्वारा जयंती मनाई गई, जिसमे उनके शौर्य और वीरता का परिचय देकर उनके जीवन प्रकाश डाला गया.
देवेश्वरी मरकाम महिला प्रकोष्ट की अध्यक्ष ने बताया जबलपुर की गोंड रानी दुर्गावती के साम्रज्य पर 1524 से 1564 तक राजपाट संभाला, उन्होंने अपने राज्य की राजधानी को चौरागढ़ से सिंगौरगढ़ स्थानांतरित किया, सेना में बड़े बदलाव किए और एक सुसज्जित सेना तैयार की। कई मंदिरों, धर्मशालाओं और तालाबों का निर्माण कराया। 1556 में मालवा के सुल्तान बाज बहादुर ने गोंडवाना पर हमला बोल दिया, लेकिन रानी दुर्गावती के साहस के सामने वह बुरी तरह से पराजित हुआ।
जामवन्त सिंह कुमरे ने कहा आज की महिलाओं को रानी दुर्गावती से प्रेरणा लेनी चाहिये, जो पूरे साम्रज्य को बचाने के लिये लड़ सकती थी, वही आज की महिला अपनी खुद की इज्जत नही बचा पाती, आज उनको श्रधांजलि देकर सिख लेनी चाहिये थी लेकिन अफसोस उनको नाच गाने के अलावा फुर्सत ही नही, डीजे पर नाचने बुला ले तो हजारो की भीड़ में जमा हो जायेगी, यही कारण सबसे अधिक आदिवासी युवती का बलात्कार और शोषण हो रहा है। माँ बाप भी अपने बच्चो को गर्त में धकेल रहे है, घर की पाबंदिया और अनुशासन नही है, कारणवश जो संस्कारविहीन होते जा रही है, अधिकारों के प्रति चेतना नही जाग रही है, शिक्षा में अधिकतर युवतियां फेल हो रही है, आने वाला भविष्य उनका अंधकारमय हो रहा है, जो बड़ी चिंता का विषय है।
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