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ऐतिहासिक महापुरुषों की स्थापना गाथा व सांस्कृतिक महाकुंभ का भव्य समापन

अपडेट करने की तारीख: 13 फ़र॰

1857 के बलिदानियों को दी श्रद्धांजलि, फाइव स्टार क्रांतिकारी चौराहा का हुआ नामकरण

बैतूल। जिले के दामजीपुरा में 28 जनवरी को पांच महान क्रांतिकारियों की प्रतिमा अनावरण के साथ ऐतिहासिक सांस्कृतिक महाकुंभ का समापन हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में हजारों की संख्या में समाजजन एकत्रित हुए और आदिवासी समाज की एकता, जागरूकता और अधिकारों की रक्षा को लेकर महत्वपूर्ण विचार रखे। इस अवसर पर समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों और समाजसेवियों ने कार्यक्रम में भाग लिया।


मुख्यवक्ता बिरसा ब्रिगेड के संस्थापक सतीश पेंदाम जी
मुख्यवक्ता बिरसा ब्रिगेड के संस्थापक सतीश पेंदाम जी

समारोह में बिरसा ब्रिगेड नागपुर के संस्थापक सतीश पेंदाम मुख्य अतिथि रहे, जिन्होंने आदिवासी समाज की एकता और संघर्ष को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दामजीपुरा बलिदानियों की धरती है, जहां 1857 के समकालीन समय में रेंगा कोरकू के नेतृत्व में 1500 सैनिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बलिदान दिया था। उन्होंने बताया कि रेंगा कोरकू, टंट्या मामा भील, बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती और बाबा साहब अम्बेडकर जैसे महापुरुषों के विचारों को आत्मसात करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को केवल मूर्ति स्थापना तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने अधिकारों के लिए निरंतर संघर्ष करना चाहिए।



कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में रामदेव काकोडिया, शिवरावन तिड़गाम संचालक रूडी प्रथा, महिला शक्ति श्रीमती देवश्री मरकाम, जिला पंचायत सदस्य एवं युवा आदिवासी विकास संगठन जयस के प्रदेश संयोजक जामवंत सिंह कुमरे, जयस के संदीप कुमार धुर्वे, जयस के जिलाध्यक्ष सुंदरलाल उइके, समाजसेवी हेमंत सरियाम और भीम आर्मी प्रदेश महासचिव राकेश महाले सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। वक्ताओं ने समाज में व्याप्त असमानताओं, महिला अधिकारों और आदिवासी समाज की एकजुटता पर जोर दिया।


रामदेव काकोडिया ने कहा कि बैतूल जिले में पहली बार पांच महान क्रांतिकारियों की प्रतिमा अनावरण के साथ तीन दिवसीय महाकुंभ का आयोजन हुआ है, जो आने वाली पीढ़ी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की भूमि पर षड्यंत्र के तहत कब्जा किया जा रहा है, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहेगा।

जयस प्रदेश संयोजक जामवंत सिंह कुमरे ने कहा कि दामजीपुरा में मूर्ति स्थापना इन महापुरुषों के विचारों को स्थापित करने का प्रयास है। उन्होंने क्षेत्र में बार-बार बांध बनाने के प्रयासों का विरोध किया और आश्वासन दिया कि किसी भी कीमत पर आदिवासियों को विस्थापित नहीं होने दिया जाएगा। जयस के अध्यक्ष संदीप धुर्वे ने युवाओं से अपने अधिकारों के लिए जागरूक और संगठित रहने का आह्वान किया।

इस अवसर पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दामजीपुरा के प्रमुख चौराहे को 'फाइव स्टार क्रांतिकारी चौराहा' के नाम से जाना जाएगा। आयोजक समिति के संरक्षक रितेश चौहान ने कहा कि यह नामकरण समाज में एकता के सूत्र को मजबूत करेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। समापन समारोह में समस्त आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने उपस्थित जनता, अतिथियों और समाजसेवियों को धन्यवाद दिया। सभी ने आदिवासी समाज के उत्थान और अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित होकर काम करने का संकल्प लिया।

 
 
 

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