पिता का साया नहीं, हजारों सपने लेकर चला अंकुश, बनेगा डॉक्टर
- Jamvant Singh Kumre
- 10 दिस॰ 2024
- 2 मिनट पठन
अंकुश उईके: संघर्ष से सफलता तक का सफर

कहते हैं कि जीवन में चुनौतियां ही हमें मजबूत बनाती हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है उस बच्चे की, जिसके पिता ने उसे महज पांच साल की उम्र में छोड़ दिया था। एक ऐसा बच्चा जिसने अपने संघर्ष, समर्पण और मेहनत से अपनी पहचान बनाई और आज MBBS की पढ़ाई कर रहा है।
अंकुश उईके, एक छोटे से गांव प्रभात पट्टन, जिला बैतूल का रहने वाला है, जिसने अपनी कड़ी मेहनत और अटूट संकल्प से यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर हर सपना साकार हो सकता है।
शुरुआत की चुनौतियां
पिता का साया सिर से उठने के बाद, वह बच्चा अपने परिवार की कठिनाइयों को समझने लगा। मां ने मेहनत-मजदूरी करके उसे पालने का जिम्मा उठाया। आर्थिक तंगी, समाज के ताने और असुरक्षित भविष्य जैसे सवाल हर दिन उसके सामने खड़े होते थे। लेकिन इन सबके बीच, मां की ममता और बच्चे का आत्मविश्वास सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे।
शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
अंकुश ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में पूरी की। इसके बाद बैतूल में 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। बचपन से ही अंकुश पढ़ाई में होशियार था और डॉक्टर बनने का सपना देखता था। हालांकि, गांव और आर्थिक स्थिति के कारण यह सपना दूर का लगता था, लेकिन उसकी लगन ने इसे संभव बना दिया।
नीट की तैयारी और MBBS का सपना
जब उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा, तो हर कोई उसे यह कहकर हतोत्साहित करता था कि यह सपना गरीबों के लिए नहीं होता। लेकिन वह यह जानता था कि अगर मेहनत और लगन हो, तो किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है। 12वीं के बाद अंकुश ने बैतूल में नीट (NEET) की तैयारी शुरू की। यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उसने दिन-रात मेहनत की। 2024 में उसकी मेहनत रंग लाई और उसे भोपाल के मेडिकल कॉलेज में MBBS के लिए दाखिला मिल गया।
संघर्ष से मिली प्रेरणा
इस सफर ने उसे सिखाया कि जीवन में परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, अगर आत्मविश्वास और धैर्य हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। पिता के बिना भी उसने साबित किया कि वह किसी से कम नहीं है।
दूसरों के लिए प्रेरणा
आज वह बच्चा, जो कभी अकेलेपन और तंगहाली में घिरा था, MBBS की पढ़ाई करके दूसरों की जिंदगी बचाने का सपना देख रहा है। उसकी कहानी उन हजारों बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो किसी कारणवश अपने पिता के सहारे से वंचित रह जाते हैं।
एक संदेश
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन की हर बाधा हमें कुछ सिखाने के लिए आती है। हमें अपने हालातों से लड़ना सीखना चाहिए, क्योंकि असली जीत वही है जो खुद की मेहनत से हासिल की जाए।
अगर आप भी जीवन में किसी कठिन दौर से गुजर रहे हैं, तो यह याद रखें कि आपकी मेहनत और समर्पण आपको उस मुकाम तक पहुंचा सकते हैं, जहां आप जाना चाहते हैं। सपने बड़े देखें, और उन्हें पूरा करने का साहस रखें।
"कठिनाइयां केवल उस व्यक्ति को मिलती हैं, जो उन्हें हराने का साहस रखता है।"
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